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Exclusive: उत्तराखंड में यह है वेदर डॉप्लर रडार की स्थिति, मानसून सक्रिय, बारिश का रेड अलर्ट जारी
वेदर डॉप्लर रडार से मौसम की सटीक भविष्यवाणी प्राप्त की जा सकती है

उत्तराखंड में मानसून सक्रिय हो चुका है, मौसम विभाग ने इसकी आधिकारिक घोषणा कर दी है। मानसून ने उत्तराखंड में दस्तक देते ही कहर बरपाना शुरू कर दिया है मौसम विभाग ने अगले 3 दिन में भारी से बहुत बारिश वर्षा की संभावना जताई है तथा कई जिलों में रेड अलर्ट जारी किया गया है
उत्तराखंड में मानसून अनुमानित समय से करीब 9 दिन देर से पहुंचा है। यूं तो गर्मी से झुलस है देश के लिए मॉनसून राहत की खबर लेकर आता है पर उत्तराखंड के लिहाज से कहें तो मानसून राहत के साथ-साथ आफत भी है यहां मानसून के दौरान भूस्खलन होने और नदी नालों के उफान पर आने की प्रबल संभावना रहती है। उत्तराखंड के लोगों के लिए मानसून किसी अभिशाप से भी कम नहीं है बादल फटने की वजह से यहां बड़े स्तर पर जानमाल की हानि होती है जिसको देखते हुए लंबे समय से वेदर डॉपलर रडार लगाने की मांग की जा रही थी
फर्स्ट स्टेज में उत्तराखंड में तीन वेदर डॉप्लर रडार लगाए जाने प्रस्तावित है जिसमें सुरकंडा ,मुक्तेश्वर और लैंसडाउन में वेदर डॉपलर रडर लगाया जाना है। डॉपलर रडार की रेंज कई सौ किलोमीटर तक की होती है इसलिए इसे ऊंचाई वाले क्षेत्र में ही स्थापित किया जाता है ताकि यह दूर तक के वेदर का फोरकास्ट सटीक ढंग से किया जा सके। मुक्तेश्वर में वेदर डॉपलर रडर लग चुका है तथा पूरी तरह से कार्य कर रहा है सुरकुंडा में भी वेदर डॉप्लर रडार लग चुका है जो एक्सपेरिमेंटल स्टेज में है। लैंसडौन में अभी डॉप्लर रडार लगाया जाना बाकी है।
उत्तराखंड के लिहाज से वेदर डॉपलर रडार लगाया जाना बहुत ही आवश्यक है क्योंकि अभी तक हम सिर्फ सेटेलाइट से प्राप्त नतीजों के आधार पर ही मौसम की भविष्यवाणी कर सकते थे और उत्तराखंड जैसे भीषण भौगोलिक स्थिति वाले क्षेत्र में डॉप्लर रडार से ही मौसम की सटीक जानकारी प्राप्त की जा सकती है।
वेदर डॉपलर रडार किसी भी क्षेत्र में बादलों के घनत्व उसकी दशा व दिशा को रियल टाइम में प्रस्तुत करता है।जिससे किसी क्षेत्र में होने वाली भारी से भारी बारिश या बादल फटने जैसी घटनाओं का समय से पहले पता लगाया जा सकता है।
डॉपलर रडर रेडियो तरंगे फेंकता है जो बादलों से टकराकर वापस आती है उनमें उस देरी की गणना के आधार पर बादलों की दूरी ,दशा व दिशा तय की जाती है जिससे यह समझने में आसानी होती है कि बादल फटने या भारी बारिश की संभावना किस क्षेत्र विशेष में ज्यादा है।
सैटेलाइट इमेज व डॉप्लर रडार की गणना के हिसाब से की गई मौसम भविष्यवाणी के सटीक होने की संभावनाएं प्रबल हो जाती हैं। सटीक जानकारी मिलने से शासन व प्रशासन को अलर्ट वाले क्षेत्र में मदद पहुंचाने में आसानी होती है या समय रहते उस क्षेत्र को खाली कराया जा सकता है SDRF या NDRF की टीम को भी अलर्ट मोड पर रखा जा सकता है। सभी डॉप्लर रडारों के क्रियान्वित हो जाने के बाद उत्तराखंड में बादल फटने जैसी घटनाओं की दशा में बड़े स्तर पर होने वाली जान माल की हानि को काफी कम किया जा सकेगा। यह भी महत्वपूर्ण खबर है जरूर पढ़ें
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