
## अंकिता भंडारी हत्याकांड: सत्ता के दंभ के खिलाफ न्याय की ऐतिहासिक जीत
**कोटद्वार अदालत ने तीनों आरोपियों को उम्रकैद की सजा सुनाई, परिवार ने फांसी की मांग जारी रखी**
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### 🔍 मुख्य घटनाक्रम
– **तिथि**: 30 मई 2025
– **स्थान**: अपर जिला एवं सत्र न्यायालय, कोटद्वार (उत्तराखंड)
– **न्यायाधीश**: एडीजे रीना नेगी
– **सजा**: पुलकित आर्य, सौरभ भास्कर और अंकित गुप्ता को आजीवन कारावास व 72-72 हजार रुपये जुर्माना
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### 🕵️♀️ **क्या हुआ था?**
18 सितंबर 2022 की रात, 19 वर्षीय अंकिता भंडारी, जो ऋषिकेश के पास **वनंतरा रिज़ॉर्ट** में रिसेप्शनिस्ट थी, रहस्यमय तरीके से गायब हो गई। पिता वीरेंद्र सिंह ने तीन दिनों तक थानों के चक्कर लगाए, लेकिन एफआईआर दर्ज नहीं हुई। 24 सितंबर को उसका शव **चीला नहर** से बरामद हुआ। पोस्टमॉर्टम में डूबने को मौत का कारण बताया गया, लेकिन शरीर पर चोट के निशान थे ।
### ⚡ **हत्या का कारण**
मुख्य आरोपी व रिज़ॉर्ट मालिक **पुलकित आर्य** (पूर्व बीजेपी नेता विनोद आर्य का बेटा) ने अंकिता पर “**वीआईपी गेस्ट**” को “विशेष सेवाएं” देने का दबाव डाला। जब उसने इनकार किया, तो पुलकित ने अपने दो सहयोगियों के साथ मिलकर उसे नहर में धकेलकर हत्या कर दी ।
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### 🚨 **राजनीतिक भूकंप और जनआक्रोश**
– पुलकित के पिता के **राजनीतिक संपर्कों** के कारण मामले को दबाने की कोशिश हुई। विरोध प्रदर्शनों के बाद बीजेपी ने विनोद आर्य को पार्टी से निष्कासित कर दिया।
– जन आक्रोश को देखते हुए रिज़ॉर्ट को **बुलडोजर** से गिरा दिया। जिसको मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस ने मुद्दा बना लिया कि सबूतों को मिटाने के मकसद द रिसॉर्ट को गिरा दिया गया। देहरादून, ऋषिकेश समेत कई शहरों में जनता सड़कों पर उतर आई और अंकित के लिए न्याय की मांग की।
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### 🔬 **जांच और सबूत**
– **एसआईटी जांच**: 500 पन्नों की चार्जशीट दाखिल की गई, जिसमें **97 गवाहों** के बयान शामिल थे। कोर्ट में 47 गवाह पेश हुए ।
– **आरोप**: धारा 302 (हत्या), 201 (साक्ष्य छुपाना), 354ए (छेड़छाड़), और अनैतिक देह व्यापार निवारण अधिनियम ।
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### ⚖️ **न्यायालय का ऐतिहासिक फैसला**
2 साल 8 महीने की सुनवाई के बाद, 30 मई 2025 को कोर्ट ने तीनों आरोपियों को **दोषी ठहराया**। सजा सुनाते हुए एडीजे रीना नेगी ने कहा:
> “यह केवल एक हत्या नहीं, बल्कि समाज के कमजोर वर्गों के प्रति सत्ता का अमानवीय चेहरा है।”
अंकिता के परिवार को **4 लाख रुपये** मुआवजा देने का भी आदेश दिया गया ।
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### 😢 **परिवार की प्रतिक्रिया: ‘अभी लड़ाई जारी है’**
– **मां सोनी देवी**: “सजा से बेटी की आत्मा को शांति मिली होगी, लेकिन संतुष्टि तभी होगी जब हत्यारों को फांसी मिलेगी। हम हाईकोर्ट जाएंगे” ।
– **पिता वीरेंद्र सिंह**: “हम फांसी की सजा के लिए अपील करेंगे। यह न्याय व्यवस्था में आम आदमी के विश्वास की जीत है” ।
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### ❓ **अनुत्तरित सवाल**
– **वीआईपी की पहचान**: अदालत ने पुलकित को दोषी तो ठहराया, लेकिन उस “वीआईपी” का नाम सार्वजनिक नहीं किया गया, जिसके लिए अंकिता पर दबाव बनाया गया था ।
– **राजनीतिक संरक्षण**: परिवार का आरोप है कि सत्ता संपर्कों वाले लोगों को जानबूझकर बचाया गया ।
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### ✊ **समाज के लिए संदेश**
यह मामला उन हजारों मध्यवर्गीय परिवारों की कहानी है, जहां बेटियां सपने लेकर नौकरी करने जाती हैं। अंकिता की हत्या ने उस **सिस्टम को चुनौती दी** जहां रसूखदार अपराधियों को बचाने की कोशिश करते हैं। न्यायालय के फैसले ने साबित किया कि **”सच की जीत”** असंभव नहीं है ।
> **न्यायाधीश रीना नेगी का कथन**: “यह फैसला उन सभी लड़कियों के लिए आशा की किरण है जो सत्ता के दंभ का शिकार होती हैं।”
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### 📌 **निष्कर्ष**
अंकिता भंडारी अब केवल एक नाम नहीं, बल्कि **न्याय के प्रति सामूहिक संघर्ष का प्रतीक** बन गई है। जबकि अदालत ने अपना कर्तव्य निभाया है, परिवार की लड़ाई और उस **अनाम वीआईपी** की पहचान का सवाल अभी बाकी है। यह मामला राज्य की पुलिस और राजनीतिक व्यवस्था में सुधार की मांग को भी रेखांकित करता है, ताकि भविष्य में कोई अंकिता “रसूख” का शिकार न बने ।