
मसूरी में नया करिश्मा: पाइपलाइन फटी तो बन गया झरना (व्यंग्यात्मक लेख)
देहरादून 26 मार्च 2025:मसूरी की वादियों में प्रकृति ने एक बार फिर अपना करिश्मा दिखाया है। हालांकि, इस बार इस करिश्मे के पीछे न तो कोई भूगर्भीय हलचल थी, न ही बारिश की अतिशयता, बल्कि थी—एक बड़ी पाइपलाइन की “सृजनात्मक विफलता”। जी हाँ, जब पानी के लिए तरस रहे देश के अन्य हिस्सों में लोग टैंकरों के पीछे भाग रहे हैं, मसूरी ने एक नया पर्यटन स्पॉट गढ़ लिया—**”मानवनिर्मित झरना”**!
### **इंजीनियरिंग का अनूठा चमत्कार**
जब पाइपलाइन ने अपनी “आत्मा”( पानी) छोड़ी, तो पानी का इतना तेज फव्वारा फूटा कि देखते ही देखते एक विशालकाय झरना तैयार हो गया। पानी का जोश इतना था कि वह 100 फीट ऊपर तक उछल रहा था—शायद उसे भी पता था कि आजकल सोशल मीडिया पर वायरल होने के लिए कम से कम इतना ऊँचा तो उछलना ही पड़ेगा। सड़क का एक हिस्सा भी पानी के साथ बह गया, मगर चिंता की कोई बात नहीं—अब तो यहां **”वॉटरफॉल रोड”** नाम का नया टूरिस्ट अट्रैक्शन बन चुका है!
### **लोगों ने लिया खूब आनंद**
जब यह खबर फैली, तो लोगों ने झरने को देखने के लिए हुजूम उमड़ पड़ा। कुछ ने सेल्फियाँ लीं, कुछ ने रील्स बनाईं, और कुछ ने तो पिकनिक मनाने तक की तैयारी शुरू कर दी। एक शख्स ने तो यहाँ तक कहा—*”सरकार लाख कोशिश कर ले, मगर स्विस आल्प्स जैसा नज़ारा तो हमारे यहाँ ही देखने को मिलता है!”* अब इसे कहें **”जय हो जल संकट की”** या **”आपदा को अवसर में बदलने की कला”**-देहरादून वालों ने दिखा दिया कि मनोरंजन के लिए किसी भी स्थिति का इस्तेमाल किया जा सकता है।
### **प्रशासन की रचनात्मक प्रतिक्रिया**
प्रशासन ने भी इस घटना पर तुरंत प्रतिक्रिया देते हुए कहा—*”हम जाँच कर रहे हैं कि पाइपलाइन इतनी खूबसूरती से क्यों फटी?”* कुछ लोगों ने तो सुझाव दिया कि अब इस झरने को स्थायी बना देना चाहिए, ताकि पर्यटकों की संख्या बढ़ाई जा सके। वैसे भी, उत्तराखंड में प्राकृतिक झरनों की कोई कमी नहीं, लेकिन **”24 घंटे पानी देने वाला झरना”** यही एक है!
### **भविष्य की योजनाएँ**
अब स्थानीय लोगों ने माँग की है कि इस झरने के पास एक **”पाइपलाइन म्यूज़ियम”** बनाया जाए, जहाँ दुनिया भर के फटे हुए पाइपों की कहानियाँ सुनाई जा सकें। कुछ उद्यमियों ने तो यहाँ बोटिंग की व्यवस्था शुरू करने की भी योजना बना ली है—क्योंकि जब सड़क ही नदी बन गई है, तो नाव क्यों न चले? वैसे भी आप गर्मियों का सीजन आ रहा है और पर्यटकों की संख्या बढ़ने को है।
इस घटना ने साबित कर दिया कि भारत में **”अच्छी चीजें”** अक्सर दुर्घटना से ही होती हैं। चाहे वह पाइपलाइन फटने से बना झरना हो, या फिर सड़क के गड्ढों में बनने वाले स्विमिंग पूल—हमारे यहाँ **”प्राकृतिक”** और **”मानवनिर्मित”** के बीच का फर्क दिन-ब-दिन धुंधला होता जा रहा है। अब बस इंतज़ार है उस दिन का, जब कोई बिजली का तार टूटे और लोग उसे **”नॉर्दर्न लाइट्स”** समझकर सेल्फियाँ लेने लगें!