
एक गलत कदम जिंदगी खत्म ,ड्रग्स की स्थाई राजधानी बनता देहरादून
उत्तराखंड को बने 22 साल हो चुके हैं और देहरादून की स्थिति अभी भी अस्थाई राजधानी की है पर ड्रग्स के मामले में देहरादून स्थाई राजधानी बनता जा रहा है। ताजा आंकड़ों पर गौर करें तो यह सरकार के साथ-साथ पुलिस प्रशासन के माथे पर भी चिंता की लकीरें उकेरते नजर आते हैं। देवभूमि की राजधानी जिस शांत आबोहवा के लिए देश दुनिया में मशहूर थी वह आतंकी पनाहगाह और नशे के सौदागरों के रूप में जाने जानी लगी है।
देवभूमि उत्तराखंड में करीब 110 लोगों में से एक व्यक्ति चरस और गांजा का नशा करता है उत्तराखंड में करीब 0.9 प्रतिशत लोग इस तरह के नशे की आदत से ग्रसित हैं। आंकड़ों की बात करें तो अकेले राजधानी देहरादून में ही 15000 से ज्यादा लोग ड्रग्स लेते हैं जो कि पुलिस आंकड़ा है पर असल हकीकत इससे कई गुना ज्यादा हो सकती है।
जिस देहरादून को एजुकेशनल हब के रूप में जाना जाता था उसी देहरादून की जड़ें अब धीरे-धीरे ड्रग्स से काली हो रही है। जिन क्षेत्रों में शिक्षण संस्थाएं ज्यादा है ड्रग्स का कारोबार भी उन्हीं क्षेत्रों में ज्यादा हो रहा है। देश भर से लोग अपने बच्चों को देहरादून के नामी शिक्षण संस्थाओं में दाखिला दिला कर बेफिक्र हो जाते हैं कि अब उनका बच्चा काबिल बन कर बाहर निकलेगा। सिगरेट शराब और ड्रग्स युवाओं में एक फैशन की तरह उभर रहा है। नशे की इन चीजों को युवा अब स्टेटस सिंबल के तौर पर देख रहे हैं। जब तक उन्हें पता चलता है कि उनका शौक अब नशे की लत में बदल चुका है तब तक बहुत देर हो चुकी होती है। नशे की लत से मां बाप के सपनों के साथ साथ उनका भविष्य भी बर्बाद हो जाता है।
इन्हीं सब बातों से चिंतित उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने देवभूमि उत्तराखंड को 2025 तक ड्रग्स मुक्त करने का लक्ष्य रखा है। ड्रग्स के मामले में पुलिस अब और एक्टिव हो गई है पुलिस किसी भी हाल में ड्रग्स के सौदागरों को सलाखों के पीछे धकेलना चाह रही है। उत्तराखंड के डीजीपी अशोक कुमार ने बताया कि थ्री लेवल एंटी नारकोटिक्स टास्क फोर्स का गठन किया गया है और जिसकी मॉनिटरिंग हर महीने वह स्वयं करेंगे। ड्रग्स के प्रति जीरो टॉलरेंस नीति अपनाने को कहा गया है। थाने से लेकर चौकी प्रभारियों तक की जिम्मेदारी तय की गई है। 3 लेवल टास्क फोर्स में एक स्टेट लेवल पर होगी दूसरी डिस्ट्रिक्ट लेवल पर और तीसरी थाना स्तर पर ।
पुलिस का लक्ष्य ड्रग्स मुफ्त उत्तराखंड का है और ऐसे में यदि किसी नशे के कारोबार में पुलिस की मिलीभगत नजर आती है तो अब सस्पेंड होने के साथ-साथ संबंधित पुलिस वाले के खिलाफ मुकदमा भी दर्ज किया जाएगा। पकड़े गए नशा तस्करों को सख्त सजा दिलाने के लिए मजबूत पैरवी की जाएगी ।ड्रग्स मुक्त उत्तराखंड बनाने के लिए जागरूकता और काउंसलिंग भी कराई जाएगी।
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